Spiritual

मंजुघोषेश्वर मंदिर में उमड़े श्रद्धालु, पहले दिन चढ़े 23 निशाण

उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल के समीप देहलचौरी कांडा गांव में होता है दो दिवसीय मेला

उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल के समीप देहलचौरी स्थित मंजुघोषेश्वर महादेव मंदिर में लगने वाला दो दिवसीय कांडा मेला मंगलवार को पारंपरिक तरीके के साथ शुरू हुआ। इस मौके पर मजीन कांडा मेला समिति एवं मंदिर के पुजारी ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विशेष देव-पूजन किया गया। पूजा-अर्चना के साथ मंदिर के कपाट सुबह करीब आठ बजे भक्तों के दर्शनार्थ खोले गए। इस मौके पर धर्मपुर विधायक विनोद चमोली ने मंदिर में पूजा अर्चना कर मेला का विधिवत शुभारंभ किया। कांडा मेले को लेकर पहले दिन ही बड़ी संख्या में भक्तों ने पहुंचकर मंजूघोषेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन किये। इस मौके पर आस-पास के छह दर्जन से अधिक गांवों के ग्रामीणों के साथ ही प्रदेश तथा देश के विभिन्न हिस्सों से लोग पहुंचे। मंदिर समिति के अध्यक्ष द्वारिका प्रसाद भट्ट ने बताया कि पहले दिन 23 निशाण मंदिर में चढ़ाए गए। कहा कांडा गांव से ठीक 12ः43 मिनट पर कफना गांव का पहला निशाण पहुंचा। कहा श्रद्धालुओं ने माता मंजूघोष से अपने-अपने गांवों व परिवारों की सुख-समृद्धि की कामना की।

यह है मान्यता—-
मंजुघोष महादेव मंदिर कामदाह डांडा पर है। शिवपुराण के अनुसार इस पर्वत पर भगवान शंकर ने तपस्या की थी। कामदेव ने उनकी तपस्या भंग करने के लिए फूलों के वाण चलाकर उनके अंदर कामशक्ति को जागृत किया था। क्रोधित शंकर भगवान ने कामदेव को भष्म कर दिया था। तब से इस पर्वत का नाम कामदाह पर्वत पड़ा। जो कालांतर में कांडा हो गया।
दूसरी कथा है कि मंजु नाम की एक अप्सरा ने यहां शक्ति प्राप्त करने के लिए भगवान शंकर की तपस्या की। उस पर श्रीनगर का राजा कोलासुर मोहित हो गया। जब वह अपने मकसद में सफल नहीं हुआ, तो उसने भैंसे का रूप धारण कर ग्रामीणों पर हमला कर दिया। यह देवी को सहन नहीं हुआ। उसने महाकाली का रूप धारण कर कोलासुर का वध कर दिया। उसी की याद में कांडा मेला मनाया जाता है।

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